वो शाम की अंगराई, वो रातों की रजाई,
तू मिल जाए मुझको तो, तेरी माँ को मिले जमाई।
तेरी पतली कमर, जैसे मिटटी की ठंढी सुराही,
तू मिल जाए मुझको तो, तेरी माँ को मिले जमाई।
तू खांटी सरदारनी, मैं बांका बिहारी,
तू मिल जाए मुझको तो, तेरी माँ को मिले जमाई।
परमीत सिंह धुरंधर
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