उनकी साँसों में मेरी सल्तनत बसती है,
यूँ ही उनके बक्ष, नहीं हैं निशाने पे जमाने के.
जाने कब मेरा अहंकार तोड़ पायेगा ये जमाना,
हम तो सोते हैं उनके बक्षों पे ही अपना सर रख के.
परमीत सिंह धुरंधर
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The hotcrassa ia about me, my poems, my views, my thinking and my dreams.
उनकी साँसों में मेरी सल्तनत बसती है,
यूँ ही उनके बक्ष, नहीं हैं निशाने पे जमाने के.
जाने कब मेरा अहंकार तोड़ पायेगा ये जमाना,
हम तो सोते हैं उनके बक्षों पे ही अपना सर रख के.
परमीत सिंह धुरंधर