प्रेम वही जिसमे मिलान हो,
विछोह तो गाय से बछड़े का होता है.
अभी मुख से स्तन छूट भी नहीं,
और खूंटे से इनको बंधन होता है.
प्रेम, वही, जिसमे ओठों से रसपान हो,
विछोह में तो मीरा को विषपान होता है.
अभी विरह में ह्रदय जी भर के रोया भी नहीं,
और मीरा को जग से जाना पड़ता है.
परमीत सिंह धुरंधर
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